शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

कविता


उस लड़की की हँसी
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उस खिलखिलाती लड़की की
तस्वीर कैद करलो
अपनी आंखों के कैमरे में

उस लड़की अल्हड़ता
उस लड़की की हँसी
उस लड़की का शर्माना
कैद करलो अपनी यादों में

कुछ दिनों के बाद
जब देखोगे किसी गृहणी को
कपडे धोते हुए , आटा गूंथते हुए
तब उसकी आंखों में , कुछ तलाश करोगे तुम

फिर कभी जब तुम देखोगे
किसी उदास औरत को
बाज़ार से सब्जी लाते हुए
दवाईयों की दुकान पर खड़े
अँगुलियों पर हिसाब लगाते हुए

तब तुम पहचान भी
नही पाओगे यह वही लड़की है
जिस की हँसी
आज भी गूंज रही है
तुम्हारे ख्याल में
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