शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

कविता 
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जो सहमत नही  हैं

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विश्वास करते है 
जनतांत्रिक  मूल्यों  में 
समता, समानता और 
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता  के 
पक्षधर है हम 

किन्तु सहमत हो नहीं पाते  उनसे 
जो असहमत है हम से 
हर विषय पर अपने को ही 
समझते है सही 
चाहते है ,सभी सहमत हों  हम से 

यदि कोई व्यक्त करता  है असहमति 
वह या तो मूर्ख होता है 
या फिर दुश्मन हमारा 
असहमत होने का अर्थ है 
विरोध कर रहा है वह 


व्यावहारिक  लोग कभी 
 किसी  से असहमत नहीं होते 
वे सहमत के साथ भी 
सहमत होते है  
 असहमत के साथ भी 


समझदार  लोग 
 तटस्थ  रहते है 
 चुप  ही रहते है 

सहमति \   असहमति  के मुद्दे  पर


( राजस्थान पत्रिका के रविवारीय  परिशिष्ट  "हम-तुम" में 
६ फरवरी ' २०११ के अंक  में प्रकाशित )