एक ही नगर में पॉँच कवि
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एक ही नगर में रहते है पॉँच कवि
खूब प्रकाशित होते है
साहित्यिक पत्रिकाओं में
दूसरे नगर से देखने पर
समृद्ध लगता है ये नगर
एक ही नगर में रहते हुए
एक कवि को दूसरे कवि की ख़बर नहीं है
पहला कवि नहीं जानता
दूसरे कवि ने बदल लिया है मकान
दूसरा कवि नहीं जानता
तीसरा कवि भर्ती है अस्पताल में
चौथा कवि किसी अन्य को कवि नहीं मानता
पांचवा कवि अब भी
कभी कभी जाता है कॉफी हाउस
पांचों कवि मिलते है अपने ही नगर में
किसी साहित्यिक समारोह में
जिसमे मुख्य अतिथि होते है
राजधानी से आए नामवर आलोचक
किसी काव्य संग्रह का लोकार्पण
करने आए साहित्यिक पत्रिका के संपादक
कोई चर्चित विवादित लेखक
अपने ही नगर में पांचो कवि
इस तरह मिलते है गले
जैसे मिले हों वर्षों बाद
आए हों दूसरे नगर से
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शनिवार, 11 जुलाई 2009
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अद्भुत कवि की एकता बसे नगर सब एक।
जवाब देंहटाएंरचना में है प्यार जो राह दिखाये नेक।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
दूरियां घरों से ज्यादा दिलों के बीच बढ़ रही हैं, निर्मम समय ने प्राथमिकताएं बदल दी हैं. कवि ही क्या आम लोग भी रिश्तेदारी-दोस्ती में भी नहीं जा पा रहे. आयोजनों में ही मिलना होता है. अच्छी कविता है. ब्लॉग्गिंग में मन रम रहा है, यह देख और अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंक्या बात है .
जवाब देंहटाएंहर शहर का यही हाल है मान्यवर !
जवाब देंहटाएंहमारे यहां तो अपने टोले की भेड़ बनने से इंकार करने वाले को रचनाकार तक नहीं मानते ।
प्रभावित करती है आपकी लेखनी !
प्रणाम !