कविता
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युद्ध
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सब कुछ बुध्दी और तर्क से
ही तय नहीं होता
हथियारों से लड़े युध्द
ख़त्म हो जाते है एक दिन
बुध्दी और तर्क से लड़े युध्द
कभी ख़त्म नहीं होते
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[' रचना -समय ' के कविता- विशेषांक में प्रकाशित]