कविता
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अस्तित्व
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जब पूरी जिन्दगी ही
एक समझौता बन जाती है
मुझे अपने किसी स्वप्न के
आत्महत्या कर लेने पर दुख नहीं होता
चेहरे पर बनावटी मुस्कान
लिए ही जब जीना है
जिन्दगी सिर्फ मौत का
इंतजार लगती है
ऐसे में किसी भी
रेशमी सम्बन्ध पर
तेजाब डाल देने पर
मुझे कोई शिकायत नहीं होती
अपने टूटे हुये अस्तित्व को
सहेज लेने का मोह
क्या अर्थ रखता है
जब टूटन ही जिन्दगी है
किसी जुड़ना,अलग होना
पर्यायवाची हो जाता है
मुझ से तमाम जुड़े हुये
अलग हुए लोगों को
मुझ से संबंधों के
संबोधनों के अर्थ
जला देने चाहिए
एक टूटे हुए अस्तित्व की
खोज अब बंद कर देनी चाहिए
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[प्रथम काव्य-संग्रह ['शेष होते हुये'-१९८५] से
गुरुवार, 26 अगस्त 2010
शुक्रवार, 13 अगस्त 2010
कविता
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भटकाव
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मैं न भी जानता तो क्या होता
जानता भी हूँ तो क्या हुआ
मुझे इस यात्रा में सम्मिलित होना था
और मैं हो गया
ये सब ऐसे ही हुआ जैसे
मेरा जन्म हो गया
ये बात और है कि
मैं किसी के साथ नहीं चल सका
इसलिए नहीं कि
सभी लोग बेईमान या भ्रष्ट थे
या कि लोगो ने ही मुझे छोड़ दिया
कारण जो भी रहा हो
इस लम्बी यात्रा में
मैं अकेला ही रह गया
बस अब तक कि यात्रा में
कुछ खरोंचे
जो मेरे जिस्म पर रह गई है
उनका दर्द ही मुझे रोके हुए है
नहीं तो क्या मै
यही पर खड़ा रहता
अब किसी को दोष देने से क्या फायदा
मैं ही उन लोगो के साथ हो गया था
जिनकी यात्रा एक बिंदु पर आकर रूक गई
और मैं अपना पथ भूल गया
मैं अब भी चल रहा हूँ
इस आशा में
मुझे अपनी राह कही तो मिलेगी
नहीं भी मिले तो क्या
मैं चल तो रहा ही हूँ
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[ प्रथम काव्य संग्रह 'शेष होते हुए '[१९८५] से]
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भटकाव
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मैं न भी जानता तो क्या होता
जानता भी हूँ तो क्या हुआ
मुझे इस यात्रा में सम्मिलित होना था
और मैं हो गया
ये सब ऐसे ही हुआ जैसे
मेरा जन्म हो गया
ये बात और है कि
मैं किसी के साथ नहीं चल सका
इसलिए नहीं कि
सभी लोग बेईमान या भ्रष्ट थे
या कि लोगो ने ही मुझे छोड़ दिया
कारण जो भी रहा हो
इस लम्बी यात्रा में
मैं अकेला ही रह गया
बस अब तक कि यात्रा में
कुछ खरोंचे
जो मेरे जिस्म पर रह गई है
उनका दर्द ही मुझे रोके हुए है
नहीं तो क्या मै
यही पर खड़ा रहता
अब किसी को दोष देने से क्या फायदा
मैं ही उन लोगो के साथ हो गया था
जिनकी यात्रा एक बिंदु पर आकर रूक गई
और मैं अपना पथ भूल गया
मैं अब भी चल रहा हूँ
इस आशा में
मुझे अपनी राह कही तो मिलेगी
नहीं भी मिले तो क्या
मैं चल तो रहा ही हूँ
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[ प्रथम काव्य संग्रह 'शेष होते हुए '[१९८५] से]
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