कविता
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अक्सर हम भूल जाते है
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अक्सर हम भूल जाते हैं चाबियाँ
जो किसी खजाने की नहीं होती
अक्सर रह जाता है हमारा कलम
किसी अनजान के पास
जिससे वह नहीं लिखेगा कविता
अक्सर हम भूल जाते हैं
उन मित्रों के टेलीफ़ोन नंबर
जिनसे हम रोज मिलते है
डायरी में मिलते है
उन के टेलीफोन नंबर
जिन्हें हम कभी फ़ोन नहीं करते
अक्सर हम भूल जाते हैं
रिश्तेदारों के बदले हुए पते
याद रहती है रिश्तेदारी
अक्सर याद नहीं रहते
पुरानी अभिनेत्रियों के नाम
याद रहते है उनके चेहरे
अक्सर हम भूल जाते हैं
पत्नियों द्वारा बताये काम
याद रहती है बच्चों की फरमाइश
हम किसी दिन नहीं भूलते
सुबह दफ्तर जाना
शाम को बुद्धुओं की तरह
घर लौट आना
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शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
सोमवार, 8 फ़रवरी 2010
कविता
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बाथ रूम
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उन्होने बनवाया एक आलीशान मकान
लाखों में खरीदी थी जमीन
करोड़ों में कमाया था काला धन
राजधानी से आया वास्तुकार
दूर दराज से आये पत्थर
गलियारे में लगा था सफ़ेद संगमरमर
मकान में सबसे शानदार
और देखने लायक था
उनका बाथ रूम
जगमगाता उजला
चांदनी से नहाया फर्श
जिस पर ठिठक जाएँ पैर
कहते है काला धन
खपाया जाता है मकान बनवाने में
या विवाह समारोह के शामियाने में
वे हर बड़े आदमी की तरह
अक्सर रहते थे बाथरूम में
एक दिन समाचार मिला
एक दम चित गिरे थे
फिर नहीं उठ पाए बाथ रूम से
बचपन में कहानियों में पढ़ा था
अक्सर जादूगर की जान किसी
पुराने किले में बंद
तोते में हुआ करती थी
कहते है उनकी जान बाथ रूम में थी.
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बाथ रूम
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उन्होने बनवाया एक आलीशान मकान
लाखों में खरीदी थी जमीन
करोड़ों में कमाया था काला धन
राजधानी से आया वास्तुकार
दूर दराज से आये पत्थर
गलियारे में लगा था सफ़ेद संगमरमर
मकान में सबसे शानदार
और देखने लायक था
उनका बाथ रूम
जगमगाता उजला
चांदनी से नहाया फर्श
जिस पर ठिठक जाएँ पैर
कहते है काला धन
खपाया जाता है मकान बनवाने में
या विवाह समारोह के शामियाने में
वे हर बड़े आदमी की तरह
अक्सर रहते थे बाथरूम में
एक दिन समाचार मिला
एक दम चित गिरे थे
फिर नहीं उठ पाए बाथ रूम से
बचपन में कहानियों में पढ़ा था
अक्सर जादूगर की जान किसी
पुराने किले में बंद
तोते में हुआ करती थी
कहते है उनकी जान बाथ रूम में थी.
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