शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

कविता 
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कला में  गणित 
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मैं गणित में  बहुत कमजोर था 
यदि मेरी गणित अच्छी  होती 
शायद मैं  इन्जीनीयर होता 

गणित  में अनुतीर्ण  होते रहने पर  
मैं कला  वर्ग में आगया 
विश्वविद्यालय की परीक्षाओं  में
उतीर्ण  होता चला गया 
मुझे  मास्टर आफ  आर्ट्स  की
उपाधि भी मिल गई 
पर गणित में कमजोर ही रहा 


बीज गणित एवं रेखा गणित से 
मैंने छुटकारा  पा लिया पर 
जीवन के गणित में फंस गया 


संबंधों  में गणित 
मित्रों में गणित 
साहित्य  में गणित 
कला में गणित 


सम्मान में गणित 
अपमान में गणित 
पुरस्कार में गणित 
तिरस्कार में गणित 


मेरा सोचना गलत था 
गणित अच्छी होने पर 
इन्जीनीयर  ही बना जा सकता है 
सच तो ये है कि 
कुछ भी  बनने के लिए 
गणित अच्छी होना  जरूरी  है.
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शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

कविता 
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कविता से कोई नहीं डरता 
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किसी काम के नहीं होते कवि 
बिजली का उड़ जाए फ्यूज  तो 
फ्यूज  बांधना नहीं आता 
नल टपकता हो तो टपकता रहे 

चाहे  कितने ही  कला    प्रेमी हों
एक तस्वीर तरीके  से
नहीं लगा सकते कमरे  में 

पेड़ पौधों  और फूलों के बारे में 
खूब बाते करते है 
छांट  नहीं सकते 
अच्छी तुरई  और टिंडे 
जब देखो उठा लाते  है 
गले हुए केले और     आम 

वे नमक पर लिखते है कविता
दाल में कम हों  नमक 

तो उन्हें महसूस नहीं होता 
वे रोटी पर लिखते है कविता 
रोटी  कमाना उन्हें नहीं आता 
वे प्रेम पर लिखते है कविता 
प्रेम जताना उन्हें नहीं आता 


कविता लिखते है 
अपने आसपास के माहौल पर 
प्रकाशित होते है सूदूर 
अपने घर में भी 
उन्हें कोई नहीं मानता 
अपने शहर  में 
उन्हें कोई नहीं जानता 


कवियों को तो 
होना चाहिए  संत-फकीर 
होना चाहिए निराला-कबीर 
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कविता 
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कुर्सी कवि 
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अपने से भाग कर 
अपनी छाया से टकरा कर 
डर जाते है कुर्सी कवि 
सुंदर लेख की तरह 
सुन्दर कवितायेँ लिखने वाले कवि 


विदेश से आयातित 
सुन्दर चश्मा  लगा होने के बावजूद 
आकाश साफ़  दिखाई नहीं देता है
आकाश में उड़ने  वाली सारी पतंगें 
दिखती है एकसी  


कला केन्द्रों में बंद 
कला की चिंता में  मूटियाते 
कला केन्द्रों से निकल कर 
दूर दर्शन और आकाशवाणी केन्द्रों तक 
जाते है कुर्सी कवि 
जंहाँ कुर्सियां 
करती है उनका  अभिवादन 


अपठनीय , निस्पंद और अमूर्त 
कविताओं का रोना रोने वाले संपादक 
छापते है उनकी कवितायेँ 


कुर्सी कवि डरते है पतंगबाजों से 
या फिर  अपनी छाया से
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