मंगलवार, 17 सितंबर 2013

आग हर चीज़ में लगी हुई थी ।

तीन कविताएँ 
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   [ एक ]

आग हर चीज में लगी हुई  थी 
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पेट्रोल में ही नहीं 
आग हर चीज में लगी हुई थी 

गेहूँ, चावल, दाल , घी-तेल 
हल्दी, धनिया ,मिर्च और 
जीरे में ही नही 
नमक में भी आग लगी हुई थी 

हरी सब्जी,प्याज, लहसुन 
और टमाटर सुलग रहे थे 
फलों से उठती लपटों के पास 
खड़े रहना  तो संभव ही नहीं था 

देश में सम्पनता बढ़ी थी 
प्रति व्यक्ति आय में बढोतरी हुई थी 
एक अर्थशास्त्री  का कहना है कि 
अब किसान और मजदूर भी 
फल और सब्जी खाने लगे है 

जिनके पास अथाह घोषित सम्पति है 
और अथाह अघोषित  काला  धन 
महंगाई उन लोगों के कारण  नहीं 
महंगाई उन गरीब किसान-मजदूरों 
के कारण बढ़ी है जो अब 
फल-सब्जी ही नहीं खा रहे 
कपडे भी पहनने  लगे है 

आग वस्तुओं में ही नहीं 
पेट में भी लगी हुई थी 
हर जगह थी आग 
अगर नहीं थी आग 
तो चूल्हे में नहीं थी 
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      [दो] 
 मेरे होने का का प्रमाण पत्र 
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मैं हूँ  हाड मांस का 
एक चलता फिरता पुतला 
साँस चल रही है मेरी 
इस ही शहर  में 
रह रहा हूँ जन्म से  

मुझे हर बार 
प्रमाण देना पड़ता है 
जीवित हूँ मैं 

मुझे बार बार 
दिखाना पड़ता है 
मतदाता पहचान पत्र 
पैन कार्ड या 
ड्राइविंग लाइसेंस 

मैं रहता हूँ 
इस ही शहर में 
प्रमाणित करने के लिए 
दिखाना पड़ता है राशन कार्ड 
बिजली का बिल 
टेलीफोन का बिल 
यदि ये सब नहीं मेरे पास 
मेरे होने का कोई प्रमाण नहीं है 

जब मेरे घर में नहीं थी बिजली 
नहीं था टेलीफोन 
मेरे पास नहीं था मतदाता पहचान पत्र 
ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड 
तब भी मैं था 
मुझसे कोई नहीं मांगता था 
मेरे होने का प्रमाण पत्र 

जब मेरे पास नहीं था 
मेरे होने का प्रमाण पत्र 
शहर के बाज़ार
गलियां और चौराहे 
पहचानते थे मुझे 

बचपन में जब कभी 
भटक जाता 
मेरे पितामह का नाम बताने पर 
कोई भी मुझे छोड़ जाता था घर तक 
मेरे पितामह के पास 
कोई पहचान पत्र नहीं था 

आज यदि मेरे पास नहीं हो 
कोई पहचान पत्र 
यदि मैं नहीं बनवाता 
आधार कार्ड 
तो क्या मेरे होना 
होगा मेरे नहीं होना 

मेरे होना कोई 
महत्व नहीं रखता 
महत्वपूर्ण है 
मेरे होने का प्रमाण पत्र 
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    [तीन]
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जो अभी खोई नहीं 
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एक थैली में बंद है 
कुछ पुराने फ़ोउन्तेन पेन 
ख़राब हो चुके लाइटर 
भोंथरे नेल कटर 
जंग लगे ओपनर और की-चेन 

अब जबकि एक से एक 
उम्दा बाल पेन, जैल पेन 
रोलर पेन उपलब्ध है बाज़ार में 
मैं साधारण बाल पेन से लिखता हूँ 

पहले नए-नए  फ़ोउन्तेन पेन 
एकत्रित करने का शौक था मुझे 
मेरी थैली में आज भी रखा है 
एक चाइनीज पेन 
जिस से मैंने बी. ए.  की परीक्षा थी थी 
अब स्याही वाले फ़ोउन्तेन पेन का 
चलन नहीं रहा 
तब परीक्षा में बाल पेन से 
लिखने की अनुमति नहीं थी 

जेब में पड़ा रहता था 
एक न एक ओपनर 
पता नहीं कब बीयर की बोतल 
खोलने की जरूरत पड  जाये 
यद्पि ओपनर की अनुलब्धता पर 
कई मित्र  दांतों  से  खोल लेते थे बोतल 

जिसके  पास होता था लाइटर 
उसके सिगरेट  जलाने का 
अंदाज़ ही कुछ अलग होताथा 
मेरे पास थे कई आकृतियों में 
नए-नए की-चेन 
बहु उपयोगी नेल कटर  
उन में से बहुत सी 
वस्तुएं खो गई 
कुछ रह गई मित्रों के पास 

वर्ष में एक दो बार 
उलट-पलट कर देखता हूँ 
बची हुई वस्तुओं  को 
सोचता हूँ 
इस यूज़  एंड थ्रो के समय में 
क्या उपयोगिता है इस कबाड़ की 

बहुत देर तक 
देखते रहने के बाद 
खो जाता हूँ स्मृतियों में 
उन खोई हुई वस्तुओं की 
जो फिर कभी मिली नहीं 

एक बार फिर 
सहेज कर रख देता हूँ 
उन तमाम वस्तुओं को 
जो अभी खोई नहीं 
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['मधुमती' सितम्बर ' २०१३ में  प्रकाशित]