शनिवार, 26 सितंबर 2009

कविता 
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हत्यारों  के सिर पर नहीं  होते सींग
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हत्यारे  विदेशों  से  आयातित  नहीं होते 
न  ही हत्यारों के सिर  पर होते  हैं सींग 


हत्यारे नास्तिक   नहीं  होते 
ईश्वर  होता है 
हत्यारों की  मुट्ठी  में बंद 
धर्म ग्रन्थ  होते है उनके  हथियार 
 हर हत्या के बाद  
उनकी आँखों  में होते है  आंसू 
हत्यारे होते है दानवीर 
हर हत्या के बाद लुटाते है  स्वर्ण  मुद्राएँ 

हत्यारे वहां  नहीं होते 
जहाँ  होती  है   हत्या 
हत्यारे  सदैव  होते है  हमारे आसपास 
हत्यारे  पहचाने नहीं जाते 


हत्यारे हमारे सामने  से 
गुजर  जाते है हाथ बांधें
हम नतमस्तक  रहते हैं 
हत्यारों  के प्रति

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3 टिप्‍पणियां:

  1. हत्यारों की मुट्ठी में बंद
    धर्म ग्रन्थ होते है उनके हथियार
    जी हाँ इसी तरह के मारक हथियारो से हत्यारे लैस होते है.
    बेहद संवेदनशील रचना

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  2. बेहद खुबसूरती से व्यान करी है ..........अपनी अभिव्यक्ति.

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  3. सबसे खतरनाक हमारे इतना करीब होता है कि वो हमारे दृष्टि परास से बाहर ही रह जाता है.रचना हम तक पहुंचाने के लिए आभार.

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