बुधवार, 2 सितंबर 2009
कविता--- सोते हुए बच्चे
सोते हुए बच्चे
---------------------------
सोते हुए बच्चे
कितने अच्छे लगते है
मासूम और प्यारे प्यारे
सोते हुए बच्चे
मां को आश्वस्त करते है
सोते हुए बच्चे
दूध नही मांगते
खिलोने नही मांगते
मां चिंता मुक्त रहती है
सोते हुए बच्चों को
स्कूल नही भेजना पड़ता
किताबे नही खरीदनी पड़ती
अच्छे कपड़े नही पहनाने पड़ते
मां को बच्चों के सवालों के
जवाब नही खोजने पड़ते
सोते हुए बच्चे
सड़कों पर नही घूमते
आवारा नही होते
भीख नही मांगते
सोते हुए बच्चे
रोते नही है
स्वप्न देख
नींद में हँसते है
मां उनको प्यार से
दुलारती है
आँख मूँद
बच्चों को बढता हुआ देखती है
कितना आनंद देते है
मां को सोते हुए बच्चे
------------------------
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत भावपूर्ण रचना है...
जवाब देंहटाएंलाजवाब भावपूर्ण रचना। बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव!! बेहतरीन रचना!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसोते हुए बच्चे
जवाब देंहटाएंरोते नही है
स्वप्न देख
नींद में हँसते है
बहुत ही सुन्दर रचना......सम्वेदनाओ को झकझोरती है मर्म का को स्पर्श कर गयी!