सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

कविता
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दूसरे  शहर  में 
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दूसरे  शहर  में  घर नहीं होता 
समाचार  पत्र  में नहीं मिलते 
अपने शहर के समाचार 


दूसरे शहर में 
सड़क   पर  चलते  हुए 
ये अहसास  साथ चलता 
यहाँ  इस  शहर में 
मुझे कोई नहीं पहचानता 


घर से  दूर

अधिक याद  आता  है घर 
बार बार याद आते है बच्चे 
लौट  आयें होगें स्कूल  से 
खेल रहे होंगें  शायद 
पूछ  रहे होंगे  मम्मी  से 
कल  सुबह तो आ ही जायेगें पापा 


दूसरे शहर में ठण्ड 
अधिक लगती  है 
थक जाता हूँ  बहुत जल्दी 
दूसरे शहर में 
मुझे नींद नहीं आती 


रहता है पेट ख़राब 
खाना कम खाता हूँ 
सिगरेट  ज्यादा  पीता हूँ 

दूसरे  शहर की इमारते 
लगती है अजायबघर 
लड़कियां  लगती है खूबसूरत 
दूसरा शहर लगता है 
दूसरे देश में 


दूसरे शहर से 
अपना शहर लगता है 
बहुत दूर   


दूसरे शहर से  
लौट कर अच्छा  लगता है 
नक्शे  में ढूँढना 
दूसरा  शहर 
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4 टिप्‍पणियां:

  1. दूसरे शहर से

    अपना शहर लगता है

    बहुत दूर
    और यह दूरी ही तो हमारी मजबूरी होती है

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  2. दूसरे शहर से
    लौट कर अच्छा लगता है
    नक्शे में ढूँढना
    दूसरा शहर
    सुन्दर पंक्तियाँ...........

    जवाब देंहटाएं