मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

प्रेम करने से पहले

कविता 
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प्रेम करने से पहले 
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उन्हें नहीं मालूम था 
प्रेम करने से पहले 
गोत्र  पता कर लेना चाहिए 

पंचों ने अवैध करार कर दिया 
प्रेम विवाह 
देश की सर्वोच्च न्यायपालिका  से
अधिक शक्तिशाली थी पंचायत 


उन्हें नहीं मालूम था 
प्रेम करने से पहले 
पूछ लेना चाहिए सरपंच से 


सबसे पहले 
पत्थर उसने मारा ,जिसने 
जिसने सबसे अधिक किये थे पाप 


तब तक मारते रहे 
जब तक प्राण विहीन 
नहीं होगये दो शरीर 


आदिम न्याय के तहत 
संगसार किया पंचायत ने 
पुलिस की मौजूदगी में 


उन्हें नहीं मालूम था 
प्रेम करने से पहले 
थानेदार सेपूछ लेना चाहिए था 
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{  'रचना-समय'  के कविता विशेषांक में प्रकाशित }

 

1 टिप्पणी:

  1. प्रेम तो बस एक पीड़ा है,
    इस पिड़े में ही रस की प्याली,
    जो इस रस में रत गया है ,
    उसने प्रेम की सुख पा ली.

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