मंगलवार, 30 अगस्त 2011

युद्ध

कविता 
-----------

युद्ध 
---------



 सब कुछ बुध्दी और तर्क से 
ही तय नहीं होता 

   हथियारों  से लड़े युध्द
  ख़त्म हो जाते है एक दिन 
       बुध्दी और तर्क से लड़े युध्द
         कभी  ख़त्म नहीं  होते 
    --------------------------------------
     
 [' रचना -समय ' के कविता- विशेषांक में प्रकाशित]
 

2 टिप्‍पणियां:





  1. आदरणीय क्षितिज जी
    सादर अभिवादन !

    सही है -
    बुद्धि और तर्क से लड़े युद्ध
    कभी ख़त्म नहीं होते

    सार्थक कविता है …

    यहां आपकी कुछ अन्य रचनाएं भी पढ़ीं … अच्छी लगीं ।

    ♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं