गुरुवार, 20 मई 2010

कविता
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मेरा  हाथ 
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  उठता है  मेरा हाथ 
अभिवादन के लिए 
अभिषेक के लिए 
शुभ कामना के लिए 

उठता है मेरा हाथ 
दुआ मांगने के लिए 
अन्याय  के विरूद्ध 
आवाज  उठाने  के लिए 
शोषण के विरूद्ध 
हक  मांगने के लिए 

लेकिन नहीं उठता मेरा हाथ 
पीठ में छुरा घोंपने  के लिए 
धर्मध्वजा  लहराने  के लिए 
रथ में जूते घोड़ों को 
चाबुक मारने के लिए 
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4 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sundar...seekh dene waali bas font thoda gehra kar lijiye...

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  2. लेकिन नहीं उठता मेरा हाथ
    पीठ में छुरा घोंपने के लिए
    धर्मध्वजा लहराने के लिए
    रथ में जूते घोड़ों को
    चाबुक मारने के

    सुन्दर अभिव्यक्ति.....अच्छा सन्देश

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  3. बहुत दिन बाद इस तरह की रचना पढने को मिली है! बेहतरीन!

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