शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

कविता 
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कविता से कोई नहीं डरता 
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किसी काम के नहीं होते कवि 
बिजली का उड़ जाए फ्यूज  तो 
फ्यूज  बांधना नहीं आता 
नल टपकता हो तो टपकता रहे 

चाहे  कितने ही  कला    प्रेमी हों
एक तस्वीर तरीके  से
नहीं लगा सकते कमरे  में 

पेड़ पौधों  और फूलों के बारे में 
खूब बाते करते है 
छांट  नहीं सकते 
अच्छी तुरई  और टिंडे 
जब देखो उठा लाते  है 
गले हुए केले और     आम 

वे नमक पर लिखते है कविता
दाल में कम हों  नमक 

तो उन्हें महसूस नहीं होता 
वे रोटी पर लिखते है कविता 
रोटी  कमाना उन्हें नहीं आता 
वे प्रेम पर लिखते है कविता 
प्रेम जताना उन्हें नहीं आता 


कविता लिखते है 
अपने आसपास के माहौल पर 
प्रकाशित होते है सूदूर 
अपने घर में भी 
उन्हें कोई नहीं मानता 
अपने शहर  में 
उन्हें कोई नहीं जानता 


कवियों को तो 
होना चाहिए  संत-फकीर 
होना चाहिए निराला-कबीर 
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6 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह! क्या लिखा है मज़ा आ गया........."

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  2. किसी काम के नहीं होते कवि
    बिजली का उड़ जाए फ्यूज तो
    फ्यूज बांधना नहीं आता
    नल टपकता हो तो टपकता रहे

    बहुत बढ़िया ख्याल ....क्या नल हमेशा टपकता रहता है कृपया पानी की बचत करें ... नाइस

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  3. कवि नाम के प्राणी की वास्तविकता ज़ाहिर करदी आपने। यह अव्यावहारिकता उसका गुण है! उसने दुनिया सुन्दर और रहने योग्य बनायी है।
    *महेंद्रभटनागर

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  4. Bahut hi achchi hai....aapki kavitao mai sach hai lekin majedaar roop mai. Dhanyawad.

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  5. amazing! to rate a poet by the mundane things of life is a brilliant idea.

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