कविता
----------
असामयिक
------------
कुछ भी नहीं होता
असामयिक
जिसे हम कहते है
असामयिक
वह भी समय पर ही होता है
हम धारणा बना लेते है
इस समय यह होना चाहिए
आयु को समय से
सम्बध्द कर लेते है हम
हर व्यक्ति के सम्बन्ध में
अलग अलग है समय
किसी के लिए सामयिक
किसी के लिए असामयिक
निश्चित है समय
कुछ भी होने का
जो भी होता है
सामयिक ही
कुछ भी नहीं होता
असामयिक
हमारा सोच होता है
असामयिक
---------------------
कविता
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सुख और दुःख
--------------
किसी किसी के हिस्से में आता है सुख
सबके हिस्से में आता है दुःख
जो होता है परमसुखी
उसे भी दुःख का
अहसास होता है कभी
जो होते है परमदुःखी
वे कभी सुख को
महसूस नहीं कर पाते
कल्पना करते है
शायद होता है
या वैसा होता है सुख
सुखी लोग अपना सुख
नहीं बांटते कभी
दुखी लोग बांटते रहते है
अपना दुःख
बांटने से भी कम नहीं होता
दुःख व्यापक और
वर्गहीन है
दूसरों के दुःख से
हम दुखी हो सकते है
दूसरों केसुख से '
हम सुखी नहीं होते
---------------------
[ रविवारीय ' जनसत्ता ' दिनांक १२ अक्टूम्बर ' २०१४ में प्रकाशित ]
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असामयिक
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कुछ भी नहीं होता
असामयिक
जिसे हम कहते है
असामयिक
वह भी समय पर ही होता है
हम धारणा बना लेते है
इस समय यह होना चाहिए
आयु को समय से
सम्बध्द कर लेते है हम
हर व्यक्ति के सम्बन्ध में
अलग अलग है समय
किसी के लिए सामयिक
किसी के लिए असामयिक
निश्चित है समय
कुछ भी होने का
जो भी होता है
सामयिक ही
कुछ भी नहीं होता
असामयिक
हमारा सोच होता है
असामयिक
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कविता
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सुख और दुःख
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किसी किसी के हिस्से में आता है सुख
सबके हिस्से में आता है दुःख
जो होता है परमसुखी
उसे भी दुःख का
अहसास होता है कभी
जो होते है परमदुःखी
वे कभी सुख को
महसूस नहीं कर पाते
कल्पना करते है
शायद होता है
या वैसा होता है सुख
सुखी लोग अपना सुख
नहीं बांटते कभी
दुखी लोग बांटते रहते है
अपना दुःख
बांटने से भी कम नहीं होता
दुःख व्यापक और
वर्गहीन है
दूसरों के दुःख से
हम दुखी हो सकते है
दूसरों केसुख से '
हम सुखी नहीं होते
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[ रविवारीय ' जनसत्ता ' दिनांक १२ अक्टूम्बर ' २०१४ में प्रकाशित ]
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