कविता
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नींद में स्त्री
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कई हज़ार वर्षों से
नींद में जाग रही है वह स्त्री
नींद में भर रही है पानी
नींद में बना रही व्यंजन
नींद में बच्चों को
खिला रही है चावल
कई हज़ार वर्षों से
नींद में कर रही है प्रेम
पूरे परिवार के कपडे धोते हुए
जूठे बर्तन साफ़ करते हुए
थकती नहीं है वह स्त्री
हजारों मील नींद में चलते हुए
जब पूरा परिवार
सो जाता है संतुष्ट हो कर
तब अँधेरे में
अकेली बिल्कुल अकेली
नींद में जागती रहती है वह स्त्री
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शनिवार, 10 अक्टूबर 2009
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सही चित्र उकेरा है.
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