शनिवार, 18 जुलाई 2009
आधी सदी के सफर में
आधी सदी के सफर में
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आधी सदी के सफर में
हम रहे साथ साथ
इस शहर की कितनी गलियों में
कितनी बार घूमते रहे पैदल
सडकों पर दौड़ाते रहे साईकिल
चालीस मिनट से वह खड़ा था
सड़क के दायीं ओर
मै खड़ा था बायीं ओर
हम दोनों के बीच साठ फीट की दूरी थी
कभी वह मेरी दिशा में
कभी मै उसकी दिशा में
बढ़ने का प्रयास करते रहे
कई बार सड़क के बीचों बीच पहुँच गए
फिर लौट आए अपनी अपनी दिशाओं में
हमारी नजदीकियों के बीच
एक सैलाब था स्कूटर-कार
ऑटो ओर मिनी बसों का
भय था हादसों का
उम्र का तकाजा था
बीत चुकी थी आधी सदी
हम फिर बढे
बचते हुए वाहनों से
एक दूसरे की दिशा में
सोचा इतने बूढे भी नहीं है अभी
आख़िर मैंने उसे
खींच ही लिया हाथ पकड़ कर
बहुत देर तक हम
यूँ ही खडे रहे निशब्द
एक दूसरे का हाथ थामे
जैसे मिले हों पूरी सदी के बाद
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बहुत देर तक हम
जवाब देंहटाएंयूँ ही खडे रहे निशब्द
एक दूसरे का हाथ थामे
जैसे मिले हों पूरी सदी के बाद
KAEE BAAR PADHA OUR PAYA KI DIL KI DHADKAN TEZ HO GAYEE HAI ........ATISUNDAR
sunder abhivyakti
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी लगी आपकी कविता
जवाब देंहटाएं---
पढ़िए: सबसे दूर स्थित सुपरनोवा खोजा गया
हम फिर बढे
जवाब देंहटाएंबचते हुए वाहनों से
एक दूसरे की दिशा में
सोचा इतने बूढे भी नहीं है अभी
आख़िर मैंने उसे
खींच ही लिया हाथ पकड़ कर
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इस खूबसूरत एहसास; इस खूबसूरत ज़ज्बात को मेरा सलाम
अंततोगत्वा मिलन तो हुआ। भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com