तीन कवितायेँ
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[एक]
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
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हम किसी को
कुछ भी कह सकते है
ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है
कोई हमे कुछ भी कह दे
ये मानहानि है हमारी
[दो]
सहिष्णुता
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कोई हमारी प्रशंसा करे
चाहे झूठा ही गुणगान करे
इतना तो सहन सकते है
कोई आलोचना करे
हम चुप बैठ जाएँ
इतने भी सहिष्णु नहीं है हम
[तीन]
स्वाभिमानी
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जहाँ से हमें
कुछ प्राप्त नहीं हो रहा
उनकी क्यों सुने
आखिर स्वाभिमानी है हम
जहाँ से हमे
कुछ प्राप्त हो रहा है
उनकी गाली भी सुन लेते है
ये विनम्रता है हमारी
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शनिवार, 10 जुलाई 2010
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अच्छी और प्रासंगिक कविताएं। बधाई!
जवाब देंहटाएंkahe jane yogya teekhi sooktiyan.sundar.
जवाब देंहटाएं''हम किसी को
जवाब देंहटाएंकुछ भी कह सकते है
ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है
कोई हमे कुछ भी कह दे
ये मानहानि है हमारी''
अँधेरे कुँए का प्रवेश द्वार बनती जा रही है यही अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता । एक दम सटीक ........
यही आज का इंसान है , नियम कायदों को सहूलियत के मुताबिक तोड़ मरोड़ के रख देने वाला
जवाब देंहटाएं:) अच्छी रचना !