कविता
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बाथ रूम
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उन्होने बनवाया एक आलीशान मकान
लाखों में खरीदी थी जमीन
करोड़ों में कमाया था काला धन
राजधानी से आया वास्तुकार
दूर दराज से आये पत्थर
गलियारे में लगा था सफ़ेद संगमरमर
मकान में सबसे शानदार
और देखने लायक था
उनका बाथ रूम
जगमगाता उजला
चांदनी से नहाया फर्श
जिस पर ठिठक जाएँ पैर
कहते है काला धन
खपाया जाता है मकान बनवाने में
या विवाह समारोह के शामियाने में
वे हर बड़े आदमी की तरह
अक्सर रहते थे बाथरूम में
एक दिन समाचार मिला
एक दम चित गिरे थे
फिर नहीं उठ पाए बाथ रूम से
बचपन में कहानियों में पढ़ा था
अक्सर जादूगर की जान किसी
पुराने किले में बंद
तोते में हुआ करती थी
कहते है उनकी जान बाथ रूम में थी.
सोमवार, 8 फ़रवरी 2010
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