कविता
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हत्यारे नहीं देखते स्वप्न
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हत्यारों के चेहरों पर
होती है विनम्र हंसी
हत्यारे कभी हत्या नहीं करते
हत्यारे निर्भय हो कर
घूमते है शहर की सड़कों पर
हत्यारों के हाथों में नहीं होते हथियार
हत्यारों की कमीज़ के कालर
पर नहीं होता मैल
वे पहनते है उजले कपडे
उनके हाथ होते है बेदाग और साफ़
हत्यारों को रात भर
नींद नहीं आती
हत्यारे नहीं देखते स्वप्न
हत्यारों का ज़िक्र
होता है कविताओं में
हत्यारे कविता नहीं पढ़ते
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मंगलवार, 22 सितंबर 2009
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वाह हत्यारो को एक नए दृष्टिकोण से देखा आपने.
जवाब देंहटाएंहत्यारों का ज़िक्र
होता है कविताओं में
हत्यारे कविता नहीं पढ़ते
वाह क्या कहने
सही कहा.......सुन्दर कविता.....
जवाब देंहटाएंबहूत खूब कहा आपने
जवाब देंहटाएं